SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २६५ ) सजने स्वमा० मरधू पुत्र लटकनदेव, आता नवद आदि कुटुम्बीजनों के सहित अपने श्रेयार्थ श्रीवासुपूज्यस्वामी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय श्रीलक्ष्मीसागरसूरि के द्वारा हुई । ( २४३ ) सं० १५०६ माघशु० ५ रविवार के दिन ब्रह्माणगच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० येथड़ पुत्र देसल मा० महिगलबाईने अपने श्रेयार्थ जीवितस्वामि श्रीसुमतिनाथजी का विम्ब श्रीपज्जूनसूरि द्वारा प्रतिष्ठित करवाया । ( २४४ ) सं० १४९३ फाल्गुनशु० १० शुक्रवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० आल्हणसिंह भा० लाड़ीबाई के पुत्र श्रे० भूमवराजने अपने माता पिता के श्रेयार्थ श्रीसूरि के द्वारा श्रीशीतलनाथप्रभु का विम्ब प्रतिष्ठित करवाया । ( २४५ ) सं० १४२२ ज्येष्ठशु० ५ शुक्रवार के दिन श्रीश्रीमाल - ज्ञातीय व्य० पीपाने पिता लक्ष्मण, माता लक्ष्मणी, पितृव्य सिंहराज के श्रेयार्थ श्रीविमलनाथ प्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय श्रीमुनिप्रभसूरिने की । ( २४६ ) सं० १५६४ वैशाखशु० ३ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमाल - "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy