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________________ ( २५२ ) ज्ञातीय व्य० समरदेव मा० जारहणदेवी के श्रेयार्थ पुत्र भ्रमराजने विष्पलगच्छीय त्रिभविया श्रीधर्मशेखरसूरि के द्वारा श्रीसुविधिनाथ पंचतीर्थी प्रतिष्ठित करवाई । ( १९७ ) सं० १५०६ माघशु० १० सोमवार के दिन श्रीमाल - ज्ञातीय व्य० पर्वत भा० राजुदेवी पुत्र सहाद्रदेव, मेहराज, महीपालने अपने पिता माता के श्रेयार्थ नागेन्द्र गच्छीय श्री पद्मानन्दसूरि दे पट्टधर श्रीविनयप्रभरि के द्वारा श्री कुन्थुनाथजी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया । ( १९८ ) सं० १४८९ वैशाखशु० १ सोमवार के दिन श्रीश्री मालज्ञातीय सं० शाखराज मा० भ्रमादेवी के पुत्र शोखराजने अपने भ्राता बहुआ के पुत्र साजन के श्रेयार्थ पिष्पलगच्छीय श्री सोमचन्द्रसूरि के द्वारा श्रीशान्तिनाथजी का विम्ब प्रतिष्ठित करवाया । · ( १९९ ) सं० १३०९ फाल्गुनशु० १३ बुधवार के दिन सोराणागोष्ठिक शा० हरदेवने अपने पुत्रों तथा अपने श्रेयार्थ श्रीपार्श्वनाथ प्रभु का बिम्ब धर्मघोषगच्छीय श्रीअमरप्रभसूरि के शिष्य श्रीज्ञानचन्द्रसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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