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________________ (२०६) श्रेष्ठिगोत्रीय महाजन मोखा पुत्र म० धनराजने भा० साल्हादेवीने म० खीदा के पुण्यार्थ श्रीशीतलनाथ का बिम्ब भराया, जिसकी प्रतिष्ठा पारकरनगर में उपकेशगच्छीय श्रीककुदाचार्यसन्तानीय श्री ककरिने की। (४१) सं० १७५७ माघशु० ५ के दिन थिरापद्रनिवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय वृद्धशाखा में वोहरा (बहुथरा) देवराजने मा० मानीबाई, पुत्र वो० वासा, सांकला पुत्र भोजराजादि सहित स्वश्रेयार्थ श्रीसंभवनाथ का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय मट्टा० श्रीविजयप्रभरि के पट्टाधीश संविज्ञपाक्षीय मट्टा० श्रीज्ञानविमलसूरिने की। (४२) सं० १५१० माघशु० ४ रविवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० भोला भा० मावलदेवी के पुत्र लूणसिंहने भ्राता हीमला के पुण्यार्थ तथा अपने परिजनों के श्रेयार्थ श्रीशान्तिनाथपंचतीर्थी करवाई, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिभवियागच्छनायक श्रीधर्मशेखरसूरिने थिरपद्र( थराद ) नगर में की। (४३) सं० १५०६ वैशाखनु० ८ रविवार के दिन थारापद्रनगर "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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