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________________ श्रीमुनिसुंदरसूरि श्रीजयचंद्रसूरि श्रीभुवनसुंदरसूरेरुपदेशेन श्रीकलवानगरे कोठारी छाहड़सामंतसंताने को० नरपति भा० देमाई पुत्र सं० तुकदे पासदे पूनसी मूला (एतैः) श्रीओसवालज्ञातीय कटारिया श्रीराउलाभुवने श्रीदेवकुलिका कारापिता शुभं भवतु श्रीपार्श्वनाथप्रसादात् । कटारियागोत्रवरं मदीयं, ताउंपिता मे जननी देमाई। ... श्रीसोमसुंदरगुरुगुरुवंद्यदेवा, श्रीछीलेजमेडतामात्रशाले (१) ॥१॥ देवकुलिकासंख्या १२ (२८३) सं० १४८३ वर्षे भाद्रपद कृष्णपक्षे ७ गुरौ श्री. तपागच्छनायक श्रीदेवसुंदरसूरिपट्टे श्रीसोमसुंदरसूरिश्रीमुनिसुंदरसूरि श्रीजयचंद्रसूरि श्रीभुवनसुंदर. सुरेरुपदेशेन श्रीकलवानगरे श्रीउसवालज्ञातीय बरहडियागोत्र झांझासंताने सा० उदयन पा० छीतू सुत सं० आसपालेन जीराउलाभुवने देवकुलिका कारापिता शुभं भवतु श्रीपार्श्वनाथप्रसादात् । देवकुलिकासंख्या १३ (२८४) सं० १४८३ वर्षे भाद्रवकृष्णपक्षे ७ गुरौ श्री. १ यह शंकास्पद है। २ यह वाक्यविन्यास अशुद्ध है। - - - - - - "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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