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________________ जैन-धातु प्रतिमा लेख सम्बत् १३८१ माघ वदि १ चन्द्रे श्रावण वाहणसुत जानकेन पितु श्रेयसे श्री शान्तिनाथ (बिषं कारितं) प्रति श्री श्रीतिलकसूरिभिः । १३९१ ........चन्द्रसहिते आत्मश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीजिनदेवमूरिः। यह प्रतिमा पुरानी है, मनोहर है। प्रतिष्ठित प्राचार्य का नाम अाधुनिक लिपि में है। (३१) सम्वत् १३६४ वर्षे वै० सु० ६ पल्लीवाल ज्ञा० धीणा मा० रासल सुत तेजड़ पितृ निमित्तं श्रीपाश्वबिंबं का प्र० कठईया श्रीहरिभद्रसूरिभिः । (३२) सम्बत् १६९४ व. बैसाख वदि ६ शनौ! श्रीश्रीमाल जातीय खूजा भार्या मुहणदे भा० मैइलिक......शांतिनाथ वि० प्र०......... रत्नाकरसूरीणामुपदेशेन। सम्बत् १४०० वर्षे वाय...अर्जुन साभः...पुत्र देडसीहेन पित्रोः श्रेयसे श्रीमहावीर(विंबं) का श्रीगुणचंदसरीणामुपदेशेन प्र० श्रीसरिभिः । २६. प्राचीन मन्दिर धनज (अमरावती) ६०. निज दैनन्दिनी से ३१. जैन मन्दिर मुलुद बंबई ३२, जैन मन्दिर (ब्रह्मचर्याश्रम) चांदवड (नासिक, ३३. प्राचीन जैन मन्दिर लालबाग बंबई "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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