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श्री जिनदत्तसूरिप्राचीन पुस्तको द्वारफण्ड,
जैन धातु - प्रतिमालेख
प्रथम भाग
संग्राहक और संपादक
शान्तमूर्ति परमपूज्योपाध्याय मुनि श्रीसुखसागरजी महाराज के
शिष्यरत्न:मुनि कान्तिसागर
प्रकाशक---
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जबलपुर निवासी गोलेच्छा कुलोत्पन्न स्वर्गीय श्रेष्ठिवर्य बन्धुद्वय प्रतापचन्दजी धनराजजी के परिवार
द्वारा प्रदत्त द्रव्य सहाय्य से
वीर निर्वाण सं २४७६
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मंत्री, श्रीजिनदत्तसूरि ज्ञानभंडार सूरत
प्रथमावृत्ति ५००
प्रयांक ६०
ईस्वीसन् १६५०
"Aho Shrut Gyanam"
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विक्रम संवत् २००७