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________________ यह भी पाठकों को अंगरेजी परिशिष्ट में मिलेंगे। जैसलमेर के किले पर के बाठ मंदिरों में से केवल तीम मंदिरों के छ: शिलालेखों के कुछ अंश उक्त रिपोर्ट में हैं। पुनः विद्वोत्साही श्रीमान् गायकवाड़ नरेश की आशा से बरौदा सेन्द्रल लाइनरी के संस्कृत पुस्तकाध्यक्ष जैनी विद्वान् स्वर्गीय साह विमनलाल डाह्या भाई दलाल, एम, ए०, ई० १६१६ में जैसलमेर भंडार. के जैनग्रन्थों की विशुद्धरूप से सूची तैयार करने के लिये गये और वहां कई मास ठहर कर लोद्रवा आदि खान के जिन-चैत्यालयों को भी अवलोकन किये थे। आपने बड़ी योग्यता के साथ वहां के भंडारों के पुस्तकों का विवरण लिखा था तथा जैन लेखों का संग्रह भी किया था । परंतु दुःख के साथ लिखना पड़ता है कि यह परिश्रम पुस्तकरूप में प्रकाशित होने के पूर्व ही आप का स्वर्गवास हो गया। पश्चात् उक्त पुस्तकालय के जैन पंडित लालचंद्रजी भगवानदासजी गांधी द्वारा गायकवाड़ मोरिएन्टल सिरोज नं० २१ की 'जैसलमेर भाण्डागारीय ग्रंथानां सूची' नामक पुस्तक ई० १९२३ में प्रकाशित हुई जिसके परिशिष्ट में जैसलमेर के किले, सहर और लोद्रपुर के सब मिलाकर कुल २१ लेख छपे, परंतु नं० २० और २१ एक ही लेख के दो अंश है । जैसलमेर के निकटवर्ती अमरसागर नामक स्थान के पटुओं के मंदिर का एक लेख 'जैन साहित्य संशोधक' (त्रैमासिक पत्रिका ) प्रथमखंड सं० १९७७, पृ० १०८ में प्रकाशित हुआ है। इस के सिवाय और किसी जगह जैसलमेर के कोई लेख मेरे देखने में नहीं आये । जैसलमेर सहर के मंदिर, घर देरासर आदि स्थानों की मतियों के लेखों के अतिरिक्त किलेपर के आठ मंदिरों में हजारों लेन सहित विंय वर्तमान हैं। समयाभाव से मैं वहां की बहुत थोड़ी ही मूर्तियों के लेखों का संग्रह कर सका था, इस कारण इस खंड में कुल ४८१ लेख भाये हैं। जिन में भ्रम से दो लेन दुवारा छप गये हैं अर्थात् ४७६ लेख हैं। वे इस प्रकार है: किले पर आठ मंदिरों के २८६, सहरके मंदिर और देरासरों के १५, अमरसागर के २४, लोदपुर के ३२, देवोकोट के ६, गजरूपसागर के २ तथा पार्श्ववत्ती दादास्थान, श्मशानभूमि, देदानसर आदि अन्यान्य स्थानों के २५ आशा है कि इतिहास प्रेमी पाठकगण मेरी जो कुछ त्रुटियां रह गई हो उसे सुधारेंगे और भविष्य में जैसलमेर के अप्रकाशित जो हजारों मूर्तियों के लेख विद्यमान हैं उन्हें शोश ही प्रकाशित करने का उद्यम करेंगे । मेवाड़, मारवाड़, बीकानेर, जयपुर की तरह राजपुताने का जैसलमेर मी एक विख्यात राज्य है। इस राज्य का वर्तमान विस्तार १६०६२ वर्गमाइल है । इसके उत्तर सीमान्त में पञ्जाब का भावलपुर स्टेट, पश्चिम में सिंध प्रदेश, दक्षिण तथा पूर्व में मारवाड़ राज्य और उत्तर पूर्व में बीकानेर का राज्य है। सुविस्तृत होने पर भी ज्यादे अंश "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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