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[१६७] मूलनायकजी पर।
[2544] * (१) श्रीलोऽव नगरे । श्रीवृहत्खरतरगचाधीशैः ( ५ ) सं० १६७५ मार्गशीर्ष सुदि १५ गुरौ लांमशालिक श्रीमन नार्या चांपलदे पुत्ररत्न ( ३ ) थाहरुकेन नार्या कनकादे पुत्र हरराज मेघराजादियुतेन श्रोचिन्तामणिपार्श्वनाथ (४) विवं का० प्र० ज० युगप्रधान श्रीजिनसिंहसू रिपट्टालंकार ज० श्रीजिनराज सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥
पाट पर ।
[2545 ] * (१) संवत् १९११ मिती ज्येष्ठ सुदि ११ तियों श्रीचिंतामणिपार्श्वनाथजी रे सिंघासण
बग(चां)दो रो लालण। वर्षमान चढायो श्रीलोवपुरनयरे (२) सासतो चढीयो रहसी नंडार मध्ये धरसी तो धरमनी सोगन छै कार्ण(कारण) विशेष मोकलो ॥
(३) श्रीशुनं जवतु ॥ धातुकी मूर्ति और पंचतीर्थियों पर।
[2546] संवत् १४२६ फागुण सुदि काग करवाहा."यसुदे सुतेन
* श्याम पाषाण की सहस्राणवालो श्वे र पागण के परिकर सहित श्री मूलनायकजी के मनोज्ञ मूर्ति की चरणचौकी पर यह लेख खुदा हुआ है।
श्रीमूलनायकजी के चांदी के पाट पर यह लेख है। 43
"Aho Shrut Gyanam"