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[ १५०] (५७) उजमणा कीया इत्यादिक काम धर्म रा कीया फेर ठिकाणे ठिकाणे धर्म रा
काम कराय रह्या है इण मुजब होज (एए) सवैयो ३१ सो ॥ सोचनीक जैसाणे में बाफणा गुमानचंद ताके सुत पांच
पांच पांडव समान है। संपदा में अच. (६०) ल बुध में प्रबल राव राणा ही मानें जाकी कान है। देव गुरु धरम
रागी पुण्यवंत बडनागी जगत सहु वात जाने (६१) प्रमान है देसहू विदेश माह कीरत प्रकास कीयो सेव सहु हेठ कवि
करत बखान है ॥ १ हा ॥ श्रचारसै नि. (६५) नूवै जेठ मास सुदि दोय लेख लिख्यो अति चूंप सू नवियण वांचो जोय
॥ सकस सूरि सिर मुगटमणि (६३) श्रीजिनमहें सूरिद चरण कमल तिनके सदा सेवै नवियण बंद ॥ ५
कीनो अति आग्रह यकी जेश(६४) समेरु चोमारः संघ सहू लक्ति करै चढतै चित्त उलास ॥ ३ ताकी अज्ञा
पाय करि धरि दिल में आणंद ६५) ज्युं थी त्युं रचना रची मुनि केसरीचंद ॥ ४ जुलो जो परमाद मैं अकर
घाट ही बाध लिखत पोट श्रा. (६६) ई हुवै सो पमीयो अपराध ॥ ५ इति ॥ श्रीः ॥ श्रीः ॥
"Aho Shrut Gyanam"