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[ १४५] ( १५ ) गोजी संखेतरोजी पंचासरोजी गिरनारजी तथा मार्ग में सहरांरा गा.
वारा सर्व देहरा जुहास्या इणनांत सर्व ठिकाणे मंदिर ५ दीव चढायो कोयो (१६) मुकुट कुंडल हार कं जुजबंध कडा श्रीफन नगदी चंवा पुखिया इत्या
दिक मोटा तीर्थमाथे चढावतो घणो हुवो गहणो सर्व जडाऊ हो सर्व (१७) ठिकाणे लाइण जीमण कीया सहसा वनरा पगथ्या कराया उचै सूं सात
कोस रै गांव सू श्रीसिगिरिजी मोठ्या सूं बधाय. पालीतांणे बड़ा
हंगाम (१७) सू गाजा बाजतां तलेटी रो मंदिर जुहार डेरो दाखल हुवा दूजे दिन
मिती वैशाख सुदि १४ दिने शांतिक पुष्टिक हुतां श्रीसिद्धगिरिजी पर्वत
पर चढ्या (१५) श्रीमूलनायक चौमुखोजो खरतरवसोरा तथा दूजी वस्यां सर्व जुहारी
मास १ रह्या उठे चढायो घणो हुवो अढाई लाख जानी नेलो हुवो । पू. (२०) रव मारवाड मेवाड गुजरात ढूंढाड़ हाडोतो कउजुज मालवो दक्षरा सिंध
पंजाब प्रमुख देसांरा उठे लहण १) सेर १ मिश्री घर दीव दीवी जीम(२१) ण ५ संघव्यां मोटा कीया। जीमण १ बाई बीजू कीयो और जीमण पिष
घणा हुवा। श्रीचौमुखाजी रै बारणे श्राला में गोमुखयक्ष चक्रेश्व(१५) री री प्रतिष्ठा करायनें पधराई चौमुखैजी रो सिखर सुधरायो १ नवो
मंदिर करावण वस्ते नीव जाई । जूना मंदिरां रा जीर्णोद्धार कराया
जन्म
"Aho Shrut Gyanam"