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- अमरसागर
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श्री आदिनाथजी का मंदिर ।
प्रशस्ति ।
{ 2518 ] * (१) ॥ श्रीआदिनाथाय नमः ॥ (१) ॥ ॐ ॥ प्रीयात्सदा जगन्नायकजैनचन्द्रः सदा निरस्ताखिवशिष्टतंडः । स (३) दिष्टशिष्टीकृतसाधुधर्मा सत्तीर्थकृन्निश्चितदृष्टिरागः ॥ १ ॥ पूज्यं श्रीजिनराजि(४) राजिचरणां भोजयंनिर्मलं ये जव्याः स्फुरफुज्ज्वलेनमनसा ध्यायति सौ.
* जेसलमेर से अमरसागर अढाई कोस पच्छिम की ओर विशाल मरूभूमि के मध्य भाग में फल पत्र सुशोभित एक चित्तरावक स्वान है। यहां दरवार का एक राज-प्रासाद सहित रमणीय उद्यान है। यहां कई एक. जैन मंदिर हैं परन्तु जैनियों का एक भी घर नहीं है ! श्रीखरतरगच्छ पंचायती के श्रीआदिनाथजी के मंदिर का यह प्रशस्ति पीले फाषाण में खुदा हुआ है।
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"Aho Shrut Gyanam"