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स्तंभ पर।
[2517] * ॥ॐ॥ स्वस्ति श्रीर्जयोच्युदयश्च पातुवो जसदश्यामाः साई ज्याधात कर्कशाः त्रैलोक्य मंडप स्तंचाश्चत्वारो हरि वाहवः ॥ १॥ संवत् १४ चतुर्दशनृपविक्रमा समयातीत संवत्सरे एव प्रवर्त्तमाने महामांगल्यरकाक्ष संवत्सरे माघ मासे शुक्लपके षष्ठयां तिथौ शुक्रवारे महाराजाधिराज श्रीलक्ष्मण सुत राउल वयर सिंहेन कूपः प्रतिष्टापितः सेठी सामु युतेन लिषितं प्रधान हरा सुत मोजा सुत जयतसी................. । जैतसी शिवदासेन
* यह लेख किले में कोट के भीतर कर के पास चतुष्कोण स्तंभ पर खुदा हुया है।
"Aho Shrut Gyanam"