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( ३ ) राज्ये पं० इ० श्री १०८ श्रीगांगजीगणिनां घुंजपाडुके कारापि
( ४ ) तं प्रतिष्ठितं च शिष्य । पं० रूपचंदेन चातृव्य पं० बखता सहते.
( ५ ) न ॥ शुनं जयतु ॥ सूत्रधार आजमेन कृतं
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संवत् १६४४ वर्षे आषाढ वदि ए सनवारे गुहिल पापा धनार्थी देवलोक मत्ता कासपस गोत्रे
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(१) ॥ संवत् १६७७ वर्षे शाके १५४१ [ प्रवर्त्तमा ] ( २ ) ने जाइव मासे शुक्लपक्षे २ तिथौ श्रीवाचना
( ३ ) चार्य श्रीवर्णदत्त श्रीकमलोदचगणित
( ४ ) तू शिष्य शिरोमणि प० वर्षकीर्त्ति प० श्री ( 4 ) देवसार ( १ ) ति पाडुका ॥
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( १ ) ॥ संवत् १६८३ वर्षे मगसिर वदि २ दिने श्री जे
( २ ) सलमेरुकोट्टे रावल श्री कल्याण
( ३ ) जी विजयराज्ये ॥ श्रीखरतरगछे ।
(४) जट्टारक श्री जिनराजसूरिविजय.
* यह कालानसर के मसान की छतरियों का लेख है। इस छतरी में हाथ जोड़े हुए बड़ी स्त्री-मूर्ति है। ++ ये दोनों लेख भी कालानसर के मसान के हैं।
"Aho Shrut Gyanam"