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[ १२२] (६) प्रतिष्ठिते तत्प्रतिष्ठोत्सवश्च संग पासदत्त सुश्रावकेण (७) नार्या लीलादेः पुत्र सं०. शालिजा केवंना चंद्रसेन(७) प्रमुख पुत्रादि परिवार स० श्रीकेण कारयांचके। कल्या. (ए) एस्तः(स्तु) ॥ श्रीः संजावंश नारंण षेमणी लिखतं ॥
. . पापुका पर ।
[2405] ॥ संवत् १६५० वर्षे श्राषाढ शुक्लपके चं वासरे द्वितीयांतिथौ पुष्यनक्षत्रे सिद्धियोगे नहारक श्री श्री श्रीजिनकुशलसूरिपाका प्रतिष्ठितं ........
[2496] ॥ संवत् १६७५ वर्षे वैशाख सुदि ए सोमवारे जहारक सवाई युगप्रधान श्री श्री श्री श्री श्रीजिनचंडसूरिपाका प्रतिष्ठिता
स्तंन पर।
[2407] * (१) ॥ संवत् १६७५ वर्षे वैशाख सुदि ए दिने सोमवारे श्रीजेसलमेरु (२) वास्तव्य राउल श्रीकल्याणदासजीविजयराज्ये कुंअर श्री: (३) मनोहरदासजी। सवाई युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरीश्वर । (४) पाचुके कारिते युगप्रधान जट्टारक श्रीजिनसिंहसूरि ॥ श्रीख (५) रतरसंघेन तेव सर्वदा श्रीसंघस्य समुन्नतिमुख श्रेयोवृद्धि कृ. (६) ते । वाचयेतामिति ॥ पं० उदयसिंघ लिपी कृतं ॥ श्री श्री श्रीः॥ * दादाजी के स्थान से पूर्व की तरफ स्तंभ के आले में यह लेख है।
"Aho Shrut Gyanam"