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[१०] देवी की मूर्ति पर ।
[ 2480}+ ॐ सौहिक पल्या मालिकया कारिता सं० ११०१
तपगच्छ उपासरा।
रौप्य के यंत्रों पर।
[24001 संवत् १७५५ मिते श्राषाढ सुदि १० दिने । शुक्रवारे। पद्मादेव्यु गश्रये सत्क समस्त श्राविकानिः श्रीसिद्धचक्र यंत्रोद्धारः कारितः प्रतिष्ठापितश्च ॥ न० ॥ जिन चं. सरिविजयराज्ये । पं० । कृपाकट्याणगणिना प्रतिष्ठिनः ॥
[2491] आ। सरुसां बाई करायो सं० २७ • • • गकरदास कस्तुरे चढ़ायो
[2492] ॥ संवत् १७ .. मिते माघ सुदि ५ दिने वरडिया रै उपाश्रय सत्का श्राविकानिः
+ यह चक्रेश्वरी देवी की बहुत प्राचीन धातु-प्रतिमा पर का लेख है। मस्तक पर भगवान की प्रतिमा के साथ यह देवी सिंहवाहन में सुखासन से बैठी हुई है। इनके दक्षिण जानु के समीप खड़ी पुरुष मूर्ति तथा बांई जानुपर सुखासन से स्थिन बालक पूर्ति है ! यहां बालक की मूर्ति के रहने का कारण समझ में भाया नहीं।
"Aho Shrut Gyanam"