________________
[ १६ ]
धनराजजी का देरासर ।
यंत्र पर |
[2472]
सं० २००३ मा | सु० । १० वरडिया जोरावरमलेन का० ज० श्रीजिनमहेंन्द्रसूरिनि: प्रतिष्ठितं श्रीवृत्खरतरगछे ||
-COCK
बृहत्खरतरगच्छ उपासरा । मूल नायकजी पर |
[2473]
|| ॐ || संवत् १६७० वर्षे वैशाख सु० ५ सोमे श्रीमदा [बाद] वास्तव्य बा० तेज बाई नान्या श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्र० तपागच्छे जहारक श्री विजय सेन सूरिजिः ॥
पाषाण की मूर्तियों पर ।
[2474]
सं० १७१५ वर्षे पमातसम (2) संधे कारावितं
यह लेख तान के यंत्र पर खुदा हुआ है ।
"Aho Shrut Gyanam"