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सपरिकरः कारितः प्रतिष्ठितं वृत्खरतरगञ्जाधीश्वर जंगमयुग ज० श्रीजिनमहेंद्रसूरिनिः
रतलाम |
[2461]
सं० १५०८० वर्षे या० सुदिप सोमे । श्रीमालीज्ञा० मं० चांपा जा० जंगी पु० मु० जनाश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथवित्रं कारितं
सं० १७७२ वर्षे चैत्र
[2462] •
रगवते (?) गांदी सहसमल
पंचतीर्थयों पर |
[2463]
|| सं० १८१५ वर्षे आषाढ वदि २ शुक्रे उकेशवंशे परीक्षोत्रे पं० सारंग सुत पं० श्रजा जाय श्रामलदे पु० पं० पर्वत सुश्रावकेण युशस जगमाल परिवारसहि तेन श्रीमतिविं कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिननसूरिपहे श्रीजिनचंद्रसूरिनिः ॥
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• जाय जायणा का
॥ संवत् १५३३ वर्षे कातिक सुदि जार्या वरजू सुत नागा जाय नागलदे
० श्रीधिराद्रागो (?) श्रीविजयसिंह सूरिपट्टे श्रीश्री शांतिसूरिजिः ॥
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* सर्वधातु की सफण मूर्ति पर का यह लेख है।
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गुरौ गौतम गोत्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय पालड़ सुत सुंधा सहितेन श्रीशांतिनाथवित्रं का०
"Aho Shrut Gyanam"
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