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'चौवीसी पर
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सं० १५०६ वर्षे माघ वदि ७ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० वरपाल जा० वीब्दपदे सु० व्य० लाडण जा० मामूं सु० व्यव पासाकेन जा० जांऊण जा० घरपा लादि सर्व कुटुम्बसहितेन श्री विमलनाथादिचतुर्विंशतिप स्वस्तृिश्रेयोर्थं श्री पूर्णिमापक्षे श्रीवीरसूर णामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना ॥ श्रीः ॥ तरजद्र ॥
पंचतीर्थी पर |
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|| सं० १५६४ वर्षे वैशाख वदि ७ शन उपकेशज्ञा० वा० गोत्रे जूविल वं० मं० निया जा० नामलदे पु० मं० सीहा जा० सूरमदे पुत्र मं० समघर जा० सकादे पुत्र सदारंग कोका युते पुष्यार्थ श्रीश्रेयांसनाथविवं का० श्रख० गते श्रीजिनचंद्रसूरिपट्टे श्री जिनमें " सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥
समोसरण पट्ट पर |
[2409 ]
(१) ॥ ॐ ॥ संवत् १५३६ वर्षे फागुण सुदि ५ दिने श्रीककेशवंशे श्रीगणधर - नाथू पुत्र सं० सच्चा जार्या शृंगारदे पुत्र [सं० जिनदत्त श्रावण जाय खखाई पुत्र अमरा यावर पौत्र हीरादियुतेन श्रीसमवसरणं.
चोपड़ा
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कारितं
मंदिर के दाहिने तरफ स्तंभ पर तीन प्राकार सहित यह यह है । इसके प्रत्येक प्राकार में यह लेख खुदे हैं।
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"Aho Shrut Gyanam"