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[४] यंत्र पर ।
12174] (१) ॐ ह्रां ह्रीं नमो देवाधिदेवाय (५) श्रीअरिष्टनमये अविल(३) चिंतामणि त्रिजुवनजनकरूप. (४) वृक्ष ॐ ह्रां ह्रीं सर्व समिहितसिद्धस्तव ( जीव )
र २८
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नागे प्रतिष्ठा कृतन्माता सिऊदे हितार्थ नाग सं० १९१० ॐ
* इस लेख में नाग संवत् का उल्लेख है यह संवत् कब और किस राजा के समय से प्रारंभ हुआ मुझे ज्ञात नहीं है, रायबहादुर पं० गौरोशंकरजी के भारतीय प्राचीन लिपिमाला' में जिन संवतों का वर्णन है उन में नाग संवत् नहीं है।
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"Aho Shrut Gyanam"