________________
JAIN INSCRIPTIONS.
जैन लेख संग्रह।
तीसरा खंड।
किले पर। श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर ।
प्रशस्ति नं १
(2112] * (१) ॥ ॐ ॥ नमः श्रीपार्श्वनाथाय सर्वकल्याणकारिणे । अहते जितरागाय सर्वज्ञाय
महात्मने ॥ १ ॥ विज्ञानदूतेन निवेदिताया मुक्त्यंगनाया विरहादिवान । रात्रिंदिवं
यो विगत प्रमी ___ * यह मंदिर किले पर के सब मंदिरों में प्रधान है। इस को श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर भी कहते हैं । इस के दक्षिण द्वार के बाई तरफ दीवार पर काले पत्थर में खुदा हुभा २२ पंक्तियों में यह लेख है । इसकी २ फुट ६॥ इञ्च लम्बाई और १ फुट ३॥ चौड़ाई है और इसके अक्षर सुन्दर ॥ श्च से कुछ बड़े ग्बुदे हुए हैं। अधिक ऊंचाई पर लगे रहने के कारण इसकी
"Aho Shrut Gyanam"