________________
( ४ )
अलवर। पाषाण के मूर्ति पर।
__ [1232 ] * (१)॥ सिजि ॥ संवत् १५१० वर्षे ज्येष्ठ वदि ११ दिने शुक्रवासरे श्री गोपाचल नगरे
राजाधिराज श्री मूंगर-सिंह-देवराज्ये ऊकेश वि (वं ) शे । (५) [पं] चलउट गोत्रे भएकारी देवराज नार्या देव्हणदे तत्पुत्र नं नाथा चार्या
रूपाई स्वश्रेयो) श्री संजवनाथ बिंब कारितं प्रति(३) ष्ठितं श्री घरतरगजे श्री जिनचन्द्र सूरि शिष्य श्री जिनसागर सूरिनिः॥
॥ श्रीरस्तु ॥३॥
नागौर। श्री झपनदेवजी का बड़ा मंदिर-हीरावाडी ।
पञ्चतीर्थियों पर।
[1233] १। उ संवत् सुण १०६६ फाल्गुन विदि ।
। मा मुलक व सतो पाहूरि सा३। वकेणं सन्तरसुतेन नित्य।। श्रेयोर्थ कारिताः॥
[12341 संवत् १३६१ वर्षे ... सुदि १ सोमे श्रेष्ठि धणपाल नार्या पादह पुत्रेण कुमरसिंह श्रावकेण आत्मश्रेयोर्थ श्री महावीर बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री ...
* यह लेख राय गौरीशङ्करजी बहादुर से मिला है उनके विवार से इस लेख का राजाधिराज डूंगरसिंह देव ग्वालियर का तंवर ( तोमर ) वंशी-राजा डूंगरसिंह ही हैं। इस मूर्ति की मूल प्रतिष्ठा ग्वालिअर में हुई थी, यहां से किसी प्रकार अलपर पहुंची है ।
"Aho Shrut Gyanam"