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________________ (३५) [1188] सं० १५५४ वर्षे वैशाख सुदि १३ सोमे श्री ब्रह्माण गडे श्री श्रीमाल ज्ञातीय श्रेष्ठ मईया नार्या माणिक सुत सामल जार्या लारू सु धर्मण धाराकेन खपित्र पूर्विज श्रेयोर्थ श्री धर्मनाथ विवं काराषितं प्रा श्री विमल सुरि पट्टे श्री बुद्धिसागर सूरिभिः वर्णन वास्तव्य ॥ [1189] ॐ सं० १५५५ वर्षे अाषाढ सुदि १० बुधे श्रोसवाल ज्ञातौ सातहड़ मोत्रे सा० बाढ जा गोपाही पुण् सुललित । न सांगर दे स्वकुटुंबयुतेन श्री कुन्थुनाय बिंव कारित प्रतिष्ठितं ककुदाचार्य सन्ताने उरकेश गछे नए श्री देवगुप्ति सूरितिः । [10] सं० १५६३ माह सु० १५ गुरु श्री संमेर गहे उसवाल पूगलिया गोत्रे स० काजा जाप रानू पु० नरवद ना राण) पु० तिगुण करमा कुवाला सहसा प्र० आत्म पुरा श्री मुनिसुव्रत. स्वामि बिंब कारापितं प्रति श्री शान्ति सूरिनिः ॥ [1191 ] सं० १५६५ वर्षे वैशाष सुदि ६ दिने सूराणा गोत्रे संग चांपा सन्ताने । सं० सवारू मु० सं० गांडा ना० धणपालही पु० सं० सहसमस ब्रात आढा पुण् सोमदम युनेन मात पुण्यार्थ श्री शान्तिनाथ विंबं का श्री धर्मघोष गछे प्राज्ञ श्री नन्दिवर्द्धन सूरिभिः ।। __[1102] सं० १५७४ वैशाष वदि ५ ओसवंशे घरमिया गोत्रे सा खाषा पुत्र सा हर्षा नार्य हीरा दे पुत्र सा० टोकर श्रावकेण स्वश्नेयसे श्री शान्तिनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं च अश्चत गळे श्रावण श्रेयोस्तु ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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