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________________ [1125] सं० १४७ ज्येष्ठ व १ प्राग्वाट 30 जलसीकेन पित्री व पूनसीह ना प्रमलदे ... श्री चन्द्रप्रन बिंब का प्र० मलधारि श्री मुनिशेखर सूरिभिः ।। __ [1128] सं० १५०१ माघ वदि ५ गुरौ प्राग्वाट व्या धणसी ना प्रीमलदे सुत व्य० लाषा जा लाषणदे सुत व्या षीमाकेन निज श्रेयसे श्री सुमति वि कारि० प्र० तपा श्री मुनि सुन्दर सूरिनिः। [1137] सं० १५१६ वर्षे वै० व १५ शुक्रे उकेश झाती व्य० नारद जा० घरघति पुत्र बाधाकेन जा वटहादे चा पहिराजादि कुटुम्ब युनेन खपितु श्रेयोर्थ श्री विमलनाथ विंबं का प्रण श्री सूरिभिः ॥ महिसाणो वास्तव्य ॥ [1128] सं० १५२० वर्षे वैशाष सु० ३ सोमे उपकेश झा मह कालू ना आघू पुत्र ३ जावड़ रतना करमसी खमातृनिमित्तं श्री चन्द्र प्रन खामि चिंब करा पितं उपकेश गछे श्री कक्क सूरिभिः सत्यपुर वास्तव्यः॥ [1120] सं० १५२४ वर्षे ज्ये सु० ए श्री श्री वंश स समधर जार्या जीविणि सुता वादही पि० हेमा युतया पितृ मातृ श्रेयसे श्री अंचल गछ श्री जयकेशरी सूरिणामुपदेशन श्री सुविधिनाथ विंबं का प्र० श्री संघेन । [11301 सं० १५५७ वर्षे ज्येष्ठ शुदि १० दिने प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेण साजण न मादह पुत्र डगड़ा देवराज ना० देवलदे स्वपुण्यार्थ श्री श्री विमलनाथ बिंध का प्रण मडाहड़ गब रत्नपुरीय जण गुणचन्ड सूरिभिः । उ आणंदनंद सूरि तेन उपरिकेन । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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