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________________ (२६) धातु की मूर्तियों पर। [ 2025] सं० १५२५ फाण सु०७ शनि रोहिण्यां श्री अर्बुद गिगै देवड़ा श्री रावधर सायर मंगर सिंह विजय राज्ये साता जीमचेत्ये गुर्जर श्रीमाल राजमान्य मंघ मंडन नार्या जोली पुत्र मं० शूफ पु० मं० गदाज्यां जार्या हासी पद्माई मं० गदा ना० आसू पुत्र श्रीरंग वाघादि कुटुंबयुताच्या १०७ मन प्रमाण सपरिकर प्रथम जिन विवं कारितं तपागलनायक श्री सोम. सुंदर सूरि पट्टे श्री मुनिसुंदर सूरि श्री जयचंद्र सूरि पट्टे श्री रत्नशेस्वर सूरि पट्ट प्रक्षाकर श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्री सुधानंदन सूरि श्री सोमजय सूरि महोपाध्याय श्री जिनसोमगणि प्रमुख । विज्ञानं सूत्रधार देवाकस्य श्री रस्तु । कृतं मेवाड़ ज्ञातीय सत्र धार मिहीपा जाप नागल सुन सूत्रधार देवा जार्या करमी सुत सूप हला गदा हापा नाला हाना कलाः सहित व्यापाद्यताः । [20201 संवत् १५५५ वर्षे वैशाख वदि ४ शुके मूंगरपुर नगरे राउल श्री सोमदास वि राय तत्प्रधान प्रजावक पुरंदर सा साना प्रमुख श्री संघोपक्रमेन . . . . . . . . . . . . श्री आदिनाथ विंबं प्र० तपागलनायक श्री सोमसुंदर सूरि पट्टे मुनिसुंदर सूरि श्री जयचं सूरि पट्टे श्री रत्नशेखर सूरि तत्पदे श्री लक्ष्मीसागर सूरि श्री सोमजय सूरि महोपाध्याय : जिनहंसगणि प्रमुख सुदरादि शिष्य परिवार परिवृतः [20271 संवत् १५६६ वर्षे फाट्युन सुदि १० सोमे श्री अचलगढ़ महादूर्गे महाराजाधिराज श्री जगमाल विजयराज्ये संग सालिग सुत संग सहसा कारित श्री चतुर्मुखविहारे जनप्रासादे श्री सुपार्श्व बिंबं श्री संपेन कारित प्र० तपागड श्री सोमसुंदर सूरि संताने श्री कमलकलस सूरि शिष्य श्री जयकल्याण सूरिनिः जा श्री चरणसुंदर सूरि प्रमुख परि. वार परिवृतैः श्रीरस्तु श्री संघस्य सूत्रधार हरदास ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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