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( २३) काले पाषाण की दृटी परकर के वांय तर्फ
[1864 ] * (१)... ज्येष्ठ सुदि १३ शुक्र वासरे। ब० के...: (२)............। बिवं कारितं ।
[1865 ] * ( आँ॥ सं०१५०३ वर्षे माघ वदि६ दिने श्रीमाल वंशे नांदी गोत्रे सं० नरपाल
नार्या महु. (२) री कारित श्रीमहावीर वियं । श्री खरतर गले प्रतिष्ठितं श्रीजिन पागर सूरिनिः॥
मूलनायकजी पर।
[1866] सं० १९१७ शाक. १७७३ मिती आषाढ कृष्ण र श्री गोड़ी पावनाय जिन यिं प्रति ष्टिता कुता बृहत् खरतर जट्टारक गणेश जङ्गम यु० प्रधान नहारक श्री जिनमुक्ति सूसिनः कारिता च नाहटा गोत्रीय लक्ष्मीचन्द्वात्मज दीपचन्न स्वश्रेयोर्थ सोम वासरे ॥
पाषाण की मूर्तियों पर ।
[1867] सं० १९१७ शाके १७०३ मिती आषाढ कृष्ण १ सोमे श्रीवर्धमान जिन वि प्रतिष्ठा कृता वृहत् खरतर जट्टारक गणश जंण् यु प्रधान श्री जिनमुक्ति सूरिनिः कारित च नाहटा गोत्रीय खक्ष्मीचन्द्र पौत्र मनोरथचन्द श्रेयोर्थ मिति ।
[1888] .. सं० १९१७ शाके १७३ मिती आषाढ कृष्ण २ सोमे श्री ऋषन देव जिन बिच प्रतिष्ठा
* ये मूर्तियां हाल में जौनपुर से डेढ कोस पर गोमती के किनारे खेत से मिली हैं। बाबू शिखरचंद जी जौहरो ने लाकर अपने बनारस के मंदिर में रखी है।
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