SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २१७) [1852] (१) संवत् १९३७ वर्षे शाके १७०३ प्रवर्तमाने मासोत्तममासे (२) ज्येष्टमासे शुक्लपक्ष छादशम्यां तिथौ गुरूवासरे (३) श्री व्यवहार गिरिशिखरे (४) श्री पार्श्वनाथ चरणयनसः प्रतिष्ठितं वृद्ध विज(५) य गणि राय लमिपत सिंह धन(६) पत संग जिरणोद्धार करापीतं के मंदिर में। चरण पर [ 1853] (१) संवत् १९३७ वर्षे ज्यष्टमासे शुक्लप (२) द्वादशम्यां तिथि गुरुवासरे आदिनाथ जिन चरण(३) न्यास प्रतिष्ठितं वृद्धविजय गणि प्रथ. (४) म जीरणोद्वार बूला किचंद तत् पुत्र माणिक (५) चंद जिरणोद्धार करापीतं इति(६)य जिरणोछार राय सबमिपति सं. (७) घ धनपतसंघ करापितं । श्रीरस्तु । व्यवहार गिरी बड़ी मूर्ति पर [1854] ॥ संवत् १५०० वर्षे फागुण सुदि ए दिने मतियाण............श्री पार्श्वनाथ विवं श्री खरतर गछे................श्री जिनसागरसूरीणां निदेशेन श्री शुनशील गुणिनिः ।। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy