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________________ ( २०५ ) श्री सम्मेत शिखर । टोंक पर के चरणों पर। {1002] ॥ श्री रुपनानन जिन चरण प्रतिष्ठिनं श्री जैन श्वेताम्बर संघेन । [ 1803] । श्री चंझानन जिन चरण प्रतिष्ठितं श्री जैन श्वेताम्बर संघन ॥ [1804] ॥ श्री वारिषेण जिन चरण प्रतिष्ठितं श्री जैन श्वताम्बर संघेन ॥ [ 1805] ॥ श्री वर्धमान जिन चरण प्रतिष्ठितं श्री जैन श्वेताम्बर संघेन ।। ___ [1803] (१) संवत् १९३१ माघ । शु। १० । चंद्र श्री चंद्रप्र (५) जु जिनेन्द्रस्य चरण पादुका। मालधार पूर्णिमा । (३) श्री माह जयगछे । न । श्री जिन शांति सागर सू। (४) निलः । प्रतिष्ठितं । स्थापितं । श्रेयसेस्त । (५) श्री संधन कारारिता । [S07] (१) संवत् १४ मिति माघ मास शुद्ध पदे पंचमी तिथौ । (२) बुधवारे श्री पार्श्वनाथ जिनस्व र हा न्यासः श्री संघाग्रहेण । (३) श्री वृहत् खरतर गाय । जंगम । युग प्रधा (४) ननहारक । श्री जिन बंड सूदितिः प्रतिष्ठितः श्रीरस्तु ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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