SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१७६) [ 1746] संवत् १०४... ॥ फाल्गुण सुदि २... वासरे नदिने श्री पार्श्वनाथ विवं प्र० बाई खीगी नरावती॥ [1747] दोष वाघा श्वी जीराउलाउ श्री पार्श्वनाथ । [ 1743] बाप हीराई श्री शान्तिनाथ · · श्री हीरविजयसूरि प्र० ॥ [1740] संवत् १९०३ वर्षे माघ विधि ५ शुक्रे श्री चन्द्रप्रन विवं कारावितं श्रीमानि वंशे शाण अनोपचन्द तस्य नार्या बाई नाथो अंचत गर्छ श्री सिहच यन्त्र पर। 1750] संवत् १५४ ना वर्षे माघ विदि ५ चन्झे श्री तपागछे वाई फूली तस्या पुत्री वाई जवन श्री सिद्धचक्र करापितं पं० पवाविजैः (?) प्रतिष्टितं श्री राजनगर मध्ये । चौतीसी पर। [1751] संवत् १५५३ वर्षे वैशाख विदि ७ रवी श्री सोलंज वास्तव्य प्राग्वाट झातीय श्रे वाला जा मान सुत श्रेष्टि समधेरण ना जासी ना धर्मादे सुता लाली प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयस श्री सुमतिनाथ चतुर्विशति पट्टः कारितः प्रतिहितः श्री तथागछे श्री रत्नशखर सूरि पट्टे गवनायक श्री लक्ष्मीसागर सूरितिः । पञ्चतीधियों पर। [ 1732 ] सं० १४३५ ( ? ): : : प्राग्वाट ज्ञातीय शाण झासा जार्या दानू सुत शा ठी गिरण "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy