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( १७१) खीमत-पालणपुर।
जैन मंदिर। मूर्चिकी चरणचौकी पर।
___ [1723] १।० ॥ सं० १५१५ वैशाष वदि ४ शुक्रे खीमंत स्थाने प्राग्वाट वं.
। शीय श्रे० श्रासदेव नार्यया दमति श्राविकया स्त्रपुत्र जसचन्द्र देवय ३। तत् पुत्र पूना अजयडषद प्रति समस्तमानुषसमेतया घा. ४। स्मश्रेयसे श्री महावीर जिनयुगलं कारितं सूरिनिः प्रति(ष्टितं)।
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श्री तारंगा तीर्थ। श्रीअजितनाथ स्वामीजी का मंदिर। सहस्रकूट के चरण पर।
[1724] श्री शाश्वता परमेश्वर ४ श्री चौबीस तीर्थकर २४ श्री वीत विहरमाण २७ श्री गणघरना १४५२ सर्वमलिने संख्या पनरसो जोड़ावि बई सहि । सं० १७७३ वर्षे माघ सुदि ऽ शुक्र श्री तारंगाजी उंगे। श्री श्री विजय जिनेन्द्र सूरि प्रतिष्ठितं तपा गछे। सा करमचन्द मोतीचन्द सुत पनाचन्द करापितं । वीसनगर वास्तव्य ।
पंचतीर्थयों पर।
[1725] सं० १५०ए वर्षे माघ सुदि १५ शनी उकेस वंशे साहु गोत्रे सा तुया ना भूपादे
"Aho Shrut Gyanam"