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________________ वरदीया बूलचंदज वेणीप्रसादेन श्री काशीस्थेन वृहत् खरतर गणना श्री जिनबाल सूरि शिष्य पाठक हीरधर्मोपदेशेन प्र । श्री जिनहर्ष सूरिणा खरतर गणेश । [ 1666 ] * सं० १७७७ रा धराकायां श्री रत्नपुरे श्री धर्मनाथायः गणधर श्रीमद् थरिष्टाण्यानां पादाः कारिताः योसवाल वंशे बरदीया बृलचंदज वेणी प्रसादेन वृहत् खरतर गणेश श्री जिनलान सूरि शिष्य पाठक हीरधर्मोपदेशन । प्र । श्री जिनहर्ष सूरिणा । वृहत खरतर गणेशेन । [1667] सं० १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्तमाने माघ शुक्ल तिथौ । श्री गौतम स्वामी जी पादन्यासौ।प्र।न। श्री जिनमहेंड सूरिनिः । का। गा श्री अगरम पुत्र बोटणलालेन पाणंद पुरे ॥ श्री॥ [ 1668] सं० १९१० वर्षे शाके १७१५ प्रवर्तमाने माघ शुक्ल ५ तिथौ सोमवासरे श्री जिन कुशल सूरीणां पादन्यासौ प्रतिष्ठितः ज । श्री जिनमहेंड सूरिनिः का। गां । श्री बेणीप्रसादांगज बोटणखालेण आणन्दपुरे । पाषाण की मूर्तियों पर। [16601 सं। १६६७ का अभिनंदन " । जं । यु । प्र । जट्टारक श्री जिनचंछ सूनिनिः । 1670] सं। १६७५ वैशाष सुदि १३ शुक्रे श्री बृहत् खरतर संघेन कारित श्री अजितनाथ विंबं प्रतिष्ठितं श्री जिनराज सूरिनिः युगप्रधान श्री जिनसिंह सूरि शिष्यैः । * किन्नर पक्ष और कंदा देवी मूर्तियों पर भी ऐसे ही लेख हैं । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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