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( १३ए ) गाने वाला प्रतापचंछ तत्पुत्र शिखर चंद्रेण । प्रतिष्ठितं । ज० श्री शांतिसागर सूरि निः ।
पंचतौर्थियों पर।
[1600] सं० १५५७ छापाड़ सुदि १७ बुधे श्री वीर वंशे ॥ सं० पोपा ना करणं पुत्र सं० नरसिंघ सुश्रावकेण नालनात जयसिंघ राजा पुत्र सं० वरदे कान्हा पोत्र सं० पदमसो सहितेन निज श्रेयोर्थ श्री अंचलगोश श्री जयकेशर सूरीणां उपदेशेन श्री श्रेयांसनाथ वि कारित प्र संघेन पत्तन नगरे।
[1810] ॥ संवत् १५६३ वर्षे श्राषाढ़ सुदि ७ गुरौ पत्तन वास्तव्य । मोढ ज्ञातीय श्रेण जीवा जा होरू पुत्र श्रेण अमराकेन जा० पुहुति सुत हांसादिकुटुंबयुतेन श्री वासुपूज्य बिंब कारिलं । प्रतिष्ठितं श्री तपागबनायक 1 श्री निगमाविनाविका । परमगुरु । श्री श्री श्री इंशनंदि सूरितिः ॥
लाला खेमचंदजी का देरासर ।
[1611 ] २० १४ माघ शुक्ल ए बुधे ओ। वज्रजातीय गोत्रे ला० रोसनलाल तत्पुत्र सोचावचंडेण नाव नति विवि तया श्री पार्श्वनाथ बिंव कारितं पांचाल देशे कंपिलपुर प्र० न श्रीमद् नहारक " सूरिनिः।
लामा हीरालालजी चुन्निलालजी का देरासर ।
मूलनायकजी पर।
[ 1612] संवत् १७२५ वर्षे चैत वदि १ सुत दलसुख जगमल । श्री पनदेवजी ... ।
"Aho Shrut Gyanam"