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________________ (१७) श्रेयसे श्री शांतिनाथ विंचं का। प्र० । श्री पार्श्व वंश सूरिनिः ॥ वीसस्थानक यंत्र पर । [1562] सं० १७६१ वर्षे आश्विन शु० १५। गुरौ श्री सिद्धचक्रराज यंत्र प्रतिष्ठापितं श्री श्रीमाल पटणीय बहाउसिंहजी तत्पुत्र लाला वखनावरसिंहजी श्रेयोर्थ तगगलीय जं । यु ।प्र।ज। श्री १०७ श्री श्री विजयजिनें, सूरिलिः विजयराज्ये वाणारस्यां । श्री महावीर स्वामीजी का मंदिर - सुंधि टोला । पंचतीर्थयों पर। [1568] सं० १४३५ वर्षे पोष वदि ए ... । [15643 ॥ सं० १५२ वर्षे चैत्र वदि ५ शुक्रो श्रीमाली झातीय फोफलिया नरसिंघ जान नामलदे सुत बाछा पितामह पितृश्रेयसे माता व जलदे युतेन सुतेन योग केन श्री न मिनाथ मुख्य पचनीर्थी का पूर्णिमा पके जीमपही श्री पास सूरि पढे श्री जयचं सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ श्रीः ॥ [1565] ॥ संग १५०१ वर्षे ज्येष्ठ वदि ए रवौ श्री श्रीमालझातीय श्रेण सरवण ना वारू पुरु श्रे० गोवल ना पूसी पुण् सहसाकेन स्वपितृमातृश्रेयसे श्री कुंथुनाथ बिंब कारित पूर्णिमापदं श्री गुणसमुख सूरीणामुपदेशेन कारित प्रतिष्ठितं च विधिना ॥ ७ महिसाणा स्याने ॥ श्री॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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