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________________ [1850] सं० १४६ए वर्षे फा० वदि । शनौ नागर इातीय अलियाण गोत्र श्रेठ का नार्या धाणू सुत मूग जातृ सांगा श्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंब का प्रण अंचलगल ना श्री मेरूतुंग सूरिनिः॥ [1860] सं० १५७७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० ओसवंशे नारे गोत्रे साप हेमा जाप हेम सिरि पु० तेजपालह आत्मश्रेयसे श्री सुविधिनाथ बिंबं का० प्र० धर्मघोषगछे ...। [1361] सं० १५३० वर्षे फा० वा १ रवौ प्राग्वाट ज्ञाण साह करमा ना० कुनिगदे पु० सा० दोला जाग देव्हा चोखा भ्रातृ मुंणा खश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिंबं का प्र पूर्णिण कगेली. वालगन्छे ना श्री विद्यासागर सूरीणामुपदेशेन । [1862] ॥ सं० १५४५ वर्षे माह सु ३ गुरौ उपकेश झाग श्रेष्ठि गोत्रे साह आसा नाग ईसरदे पुष जस्ता ना जीवादे पुत्र चाहा युतेन पित्रो श्रेयसे श्री श्रेयांसनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं मड्डाहरज गछे .... श्री कमलचं सूरिनिः ॥ गवालियर ( लस्कर )। पंचायती मंदिर - सराफा बजार । पञ्चतीर्थियों पर। [13631 * सं० ११५० ज्येष्ठ सु० १५ देवम सुतया वीटिकया कारितेयं प्रतिमा । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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