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श्रेयोर्थ श्री नेमिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गछे श्री मिनजर सूरि पदे श्री जिन चंद सूरिराजैः॥ श्री मंझपे सूर्गे महता गोत्रे ॥
श्री चंऽप्रजु खामीका मंदिर।
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सं० १४एए बर्षे फागुण बदि गुरौ उपके सुर गोत्रे सा० सिवराज ना माकु पुछ पासा सहसा नातृ बलराज पुण्यार्थ श्री शितलनाथ बिं का प्रति श्री उपकेश गन्ने ककुदाचार्य संताने श्री कक्क सूरिनिः ॥॥
[220] सं० १५४७ वर्षे बैशाख मासे उकेश बंशे दोसी गोत्रे सा कलू पुत्र सा लषा नार्या रुपाई पुत्र खपमी धरेण नार्या लीलादे सहितेन श्री अजितनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं खरतर गछे श्री जिनसमुप सूरिजिः श्रेयोस्तु ॥१॥
चतुष्कोण पट्टक पर।
. [221] सं० १६३८ समये फाल्गुण सुदी ५ नोमे श्री मूलसंघ सरखति गछे बलात्कार गणे श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये ना श्री धर्मकीर्ति देव तत्पट्टे ना श्री शीखजूषण तत्पट्टे जा श्री ज्ञान नूपण अयन सुमित्रनो तत्सहेजा श्री सुमतिकीर्ति ततशिष्य । मंकवाचार्य श्री मेरुकीर्ति गुरुपदे - ज् ॥ मगध देसे। खुदिमपुर बास्तव्य जेसवालान्वये कष्टहार गोत्रे सा बीरम तप्तायां वंयंत्रयोः पुत्र सहसी तन्नार्या अजेसिरि त्रयों पुत्रौ प्रथम किन तनार्या परिमल तत्पुत्र जिनदास तन्नार्या मोना त्रयो पुत्र जगदीस द्वितिय संघ पति श्री रामदास जाया रुकमिनि मेतेषां मध्ये संघपति रामदास नित्यं प्रणमंति । शुनं जवतु ।