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(५५) गोत्रे नानकचंद जीवनरास प्रार। ज० । भी जिन नहीपन सूरी तशिण मुनि पर अब उपदेशात् ।
भी सुधर्मा खामीजीके चरणोंपर ।
1183] सं० १९३५ मि० था शुक्ल५ इदं पाएका श्री सुधर्मा स्वामी कारापितं ओसवाल ज्ञातो पाड़ेवा गोत्रे - न सुख प्रतिष्ठितं वृ० ज० श्री जिन नंदीवर्द्धन सूरि तत्शिष्य मुनि पयजय उपदेशात् ।
पामे तर्फकी गुमटीमें १६ चरणोंपर ।
-[184] संवत १९३१ का मिती माघ शुक्ल १० तियो चंडबारे श्री वृहत् गुजराती खुंका गछे भी पूज्याचार्य श्रीश्री १०० श्रीश्री अक्षयराज सुरि तत्पहालङ्कार श्री अजयराज सरि चरण प्रतिष्ठितं सुश्रावक बाबू श्री प्रताप सिंघजी राय धनपत सिंघजी दूगड़ गोत्रीयण षोड़श महासती चरण कारापितं ॥ श्री शुजंजूयात् ॥ पावापूरीमें - स्थापितं ॥
दाहिने तर्फकी गुमटीमें चरणपर ।
-[ 185] ॥ संबत १७५३ वर्षे भाषाढ शुदि पञ्चमि दिने गणि दीप विजयणा पाऊका ॥
गांव मंदिर - पावापूरी।
पंचतीर्थीपर।
) [188] सं० १५१९ श्रापाद यदि १० मंत्रिदलिय श्री उसियड़ गोत्रे स० मेघराज स० जियदास