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पुण् अचल दासेन पु० उग्रसेन महीसेन सूर्पसेन बुद्धिसेन देवपाल वीरसेन महिराजादि युतेन श्री शान्तिनाथ का श्री जिनन सुरि पट्टे श्री जिनचंड सूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥
J[1041 सम्बत १५१५ वर्षे कार्तिक बदि ४ गुरू श्रीमाली झातीय मंत्रि देपा नायर्या सहित सुत वरजांगकेन जात जेसा नरवद हापा सहितेन पितृ मातृ यार्थ श्री अजितनाथादि चतुविशति पट्ट कारित प्रतिष्ठित श्री ब्रह्माण गर्छ श्री मुनिचंड सूरि पट्टे श्री बीर सूरिनिः॥ जेया वास्तव्यः श्री शुनं जवतु ॥ श्रीः ॥
| (105] सं० १५१४ ये शु० १० उकेश वेदर वासि स० महिराज जार्या चपाई सुत पनसिंहेन नगिनी पद्माई प्रमुख कुटुम्ब युतेन श्री शीतलनाथ बिवं का०प्र० तपा श्री सोमसुन्दर सुरि सन्ताने श्री सदमीसागर सूरिजिः ॥ श्रीरस्तु ॥
[108] सं० १५२४ बैण् शु० प्रा० श्रे० पाता जा बाबू पुत्र जोगाकेन ना जावडि पु० रामदास जातृ अर्जुन जा० सोना प्र० कु० युतेन श्री शीतलनाथ बिवं का० प्र० श्री सोमसुन्दर सूरि सन्ताने श्री सदमीसागर सूर निः॥
[107] सं० १५३२ बर्षे धै० म०६ सोमे श्री उकेश बंशे श्राजू मन्ताने जजोजा पुत्र नखाता पूना नजोदहा नारदान्यां श्री बनिनन्दन जिन विवं कारित प्रश्र खरतर गढ़ श्री जिननं जिः ॥
___J[:08 ] सं० १५३५ वर्षे वैशाख १० १० शुक्र श्री उएश बंशे जोर गोत्रे सा० सरवण जा.