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सहसाख्यः पितृ मातृ श्रेयसे श्री अजितनाथादि चतुर्विशति पट्टः पूर्णिमा पो श्री पुष्सरल सूरीणामुपदेशेम कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना श्री अहमदावाद नगरे।
श्री दादास्थान का मन्दिर । पाषाण के चरणोंपर ।
[87] ॥ श्री ॐ नमः ।। संबत १०२१ मिति माघ सुदि १५ दिने मोपाध्याय जी श्री १०७ श्री समयसुन्दर जी गणि गजेंडाणां शिष्य मुख्योत्तम श्री १०५ श्री हर्पनन्दन जी शाखायां मितोत्तम प्रवर श्री श्री नीमजी श्री सारङ्गजी तशिष्य पं० वोधाजी तत्शिष्य पं० हजारी नन्दस्य उपदेशेन सुश्रावक पुण्य प्रभावक कातेस गोत्रे साहजी श्री सोलाचन्द जी तत् जात मोतीचन्द जी श्रीमत् बृहत खरतर गछे जङ्गम युगप्रधान चारित्र चूड़ामणि जट्टारक प्रजु भी १०७ श्री दादाजी श्री जिनदत्त सूरिजी दादाजी श्री १०७ श्री जिनकुशख सुरि नूरीश्वरायां पापुका कारापिता मकुशूदाबाद मध्ये प्रतिष्ठितं महेंज सागर सुरिनिः॥ शुजमस्तु ।
188] सं० १०७६ ग वर्षे मार्गशार्प मासे शुक्लपके १० तिथो शुक्रवारे बृहत श्री खरतर गछे जं। युवराज श्री श्री जिनचं सूरि सन्तानीय सकस शास्त्राशार्थ पाउन प्रधान बुद्धि निधान । श्रीमपाध्याय जी श्री १०७ श्री रत्नसुन्दर गणिजिघराणां चरण स्थापन । साहजी दूगड़ गोत्रीय श्री बाबु श्री बुधसिंह नी तत्पुत्र बाबु श्री प्रतापसिंह जी धामदेण प्रतिष्ठितं श्री रस्तुः कल्याणमस्तुः ।
श्री आदिनाथजी का मन्दिर - कठगोला।
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संवत १४७५ वर्षे पोष पनि १० गुरो श्री नीमा ज्ञातीय गं गड़दा जा सक्षषु तयोः