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( १५) किरतचन्दजी सेठिया का परदेरासर- चावलगोला ।
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स० १५३३ वैशाख यदि ४ प्राग्वाट व्य० अपा जाप शाही पुत्र व्या जरसीइन नाग पद पु- साहादि कुटुंब युतेन स्वयसे श्री बासुपूज्य बिंवं का०प्र० तपा रत्नशखर सूरि पदे श्री सदमीसागर सूरिनिः।
श्री सांवलियाजी का मन्दिर-कीरतबाग ।
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पापाय के मूर्तियोंपर। ॥श्री सं० १७३० माघ शुक्ल ५ चंडे श्री पाश्वचंड गछे उ० श्री हर्षचंदजी नित्यचेहबीकानामुपदेशेन । उस बंशे गांधी गोत्रे साहजी श्री कमल नयनजी तत्पुत्र सा उदय चंजी तत्धर्मपत्नी तथा उस पं० गहखड़ा गोत्रे जगत्सेठजी श्री फत्तेचंडजी तत्पुत्र सेठ प्राणन्द चंडजी तत्पुत्री वा अजबोजी श्री मत्या श्वनाथ विवं कारापितं । प्रतिष्ठितञ्च वि० सुरिनिः श्री नानुचंदेणेति थाचंधार्कचिरं नन्दतालथं जूयाञ्चश्रियं ।
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॥ श्री सं० १७३० माघ शुक्ल ५ चंॐ श्री पाश्वचंड गछे उ० श्री हर्षचंनी नित्यचं जीकानामुपदेशेन उस बं0 गांधी गोत्रे सा० श्री कमल नयन तत्पुत्र सा० उदय चंडजी तत्धर्मपत्नी तथा उस बंशे गहखड़ा गोत्रे जगत्सेठ श्री फतेचं जी तत्पुत्र सेठ आणन्द चंड तत्पुत्री बाइ खजबोजी श्री वासुपूज्य बिंवं कारापितं । प्र० सूरि श्री जानुवंजेणेति नई यालिवं सदा॥
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पाषाणके चरणोंपर। सं० २०३० वर्षे माघ शुक्ल ४ चंडवासरे उस बंशे गांधी गोत्रे सा श्री कमल नयन