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दो० स० केमाकेन ना राणी स० श्री पार्श्वनाथ विबं का प्र० श्री तेजरत्न सूरिजिः ॥
॥ श्री चिंतामणि पार्श्वनायजी का मंदिर ॥
[17] संवत १५०५ वर्षे माघ बदि ५ रबी उशवाय ज्ञातीय भएकारी गोत्रे साग गेल्हा पुण सोपी जा पोलश्री पुरा इराकेन आत्म पुण्यार्थ श्री अनिनंदन विंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री धर्मघोष गछे न श्री बिजयचंऽ सूरि पट्टे श्री साधुरत्न सूरिनिः।
V [18] संवत १५२५ वर्षे व० ११ बुधे लावडी वास्तव्य उकेश ज्ञातीय व्या षीमसी ना० वानू पुत्र व्य गणमा नावाबू पुत्र व्य केल्हाकेन ना मानू वृद्ध ना० घूघा पुत्र मेघादि कुटुंब युतेन श्री मुनिसुब्रत खामी चतुर्विंशति पट्ट कारितः प्रतिष्ठितः ॥ वम्रगत चांई सगीया श्री मर्त सुरि श्री उकेश विवदणीक गछे प्रतिष्ठा कारिता। * ( अक्षर अस्पष्ट है )।
V [19] संबत १५२७ वर्षे माघ वदि ५ शुक्रे मंत्रिदली वंश पुलह गोत्रे व पाहणमीकेन पुण्ठ कर्णसी उ उन्नयचंद व हेमा पुत्री थजाश्व सहितेन परिवार युतेन श्री शीतल नाथ विवं कारितं श्री खरतर गछे श्री जिनसागर सूरि पट्टे श्री जिनसुंदर सूरयस्तत्पट्टे श्री जिनहर्ष सूरिनिःप्रतिष्ठितं ।
[20] संबत १५६३ वर्षे माह सुदि५ युरो भेष्ठि गोत्रे सा बना जा वालइदे सुनकदा जा० पन्ह सु० गिरा गिरा थांवा सह लषा युत्तेन श्री पनप्रजु विंबं कारितं उपकेश गछे ककुदाचार्य संताने न श्री देवगुप्त सूरिनिःप्रतिहितं ॥