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V ( 851 ) सं० १५७१ वर्षे कुतथपरा पक्ष तपागच्छाधिराज श्री इन्द्र नंदि सूरि शिष्य प्रमोद सुन्दर सूरि गुरुणामुपदेशात् पत्तनोय श्री संघेन कारिता देव कुलिका चिरं जीयात् ॥
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श्री यशोभद्र सूरि गुरुपादुकाभ्यां नमः । संवत् १५६७ वर्षे वैशाख मासे शुक्ल पक्ष षठ्यां तिथौ शुक्र वासरे पुनवसु ऋक्ष प्राप्त चंद्र योगे श्री संदुर गच्छे कलिकाल गौतमावतारः समस्त भविक जन मनोबुज विवोधनक दिन करः सकल लब्धि विश्रामः युग प्रधानः जितानेक वादीश्वर वृदः प्रणतानेक नर नायक मुकुट कोटि घृष्ट पादारबिंदः श्री सूर्य इव महाप्रसादः चतुः षष्टि सुरेन्द्र संगीयमान साधुवादः । श्री पंडेरकीय गण बुधावतंसः सुभद्रा कुक्षि सरोवर राजहंसः यशोवीर साधु कुलांबर नमो मणिः सकल चारित्रि चक्रवर्ति वक्त चड़ामणिः म० प्रभु श्री यशोभद्र सूरयः तत्प४ श्री चाहुमान वंश अङ्गारः लब्ध समस्त निरवद्य विद्या जलधि पारः श्री पदरा देवी दत्त गुरु पद प्रसादः स्व विमल कुल प्रबोधनक प्राप्त परम यशो बादः भ० श्री शालि सूरि स्त० श्री सुमति सूरिः त० श्री शांति सूरिः त. श्री ईश्वर सृरिः । एवं यथा क्रममनेक गुण मणि गण रोहण गिरीणां महा सूरोणां बंशे पुनः श्री शालि सूरिः त. श्री सुमति सृरिः तत्पहालंकार हार H० श्री शांति सूरि बराणां सपरिकराणों विजय राज्ये ॥ अथेह श्री मदेपाट देशे। श्री सूर्य वंशीय महाराजाधिराज श्री शिला दित्य वंशे श्री गुहिदत्त राउल श्री वप्पाक श्री खुमाणादि महाराजान्वये राणा हमीर श्री षेत सिंह श्री लखम सिंह पुत्र श्री मोकल मगांक वशोद्योतकार प्रताप मार्तंडावतारः आ समुद्र मही मंडला खंडलः अतुल महायल राणा श्री कुम्भकर्ण पुत्र राणा श्री राय मल्ल विजय मान प्राज्य राज्ये तत्पुत्र महाकुमार श्री पृथ्वो राजानुशासनात । श्री उकेश बंश राय जडारी गोत्र राउल श्री लाखण पुत्र मं० दूदवंशे मं० मयूर सुत मं. सादूल स्तस्पुत्राभ्यां मं• सोहा समदाभ्यां सद्वांधव मं० कर्मसीधा रालाखादि सुकुटुम्थ