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भा० तलदे पु० व० हियति पितृ श्रेयसे श्री शांतिनाथ विंवं कारितं श्री खरतर गच्छे श्री जिनभद्र सूरि श्री जिन सागर सूरिभिः प्रतिष्ठिता ॥
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सं० १५२७ वर्षे वैशाख बदि ६ शुक्र श्री माल ज्ञातोय पितामह वीरा पितामही वीरादे सुत पितृ डाहा मातृ जासू श्रेयोर्थं सुस राजा भोज ठाकुर सी एवं श्री विमलनाथ मुख्य चतुविंशति परः कारितः श्री पूणिमा पक्ष श्री साधु रत्न सूरि पट्ट े श्री साधु सुंदर सूरीणामुपदेशेन प्रति० विधिना श्री संघेन आंवरणि वास्तव्यः ।
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संवत १५७९ वर्षे माघ सुदि १३ दिने बुध वासरे स्तम्भ तीर्थ वासी ऊकेश ज्ञातीय सा० पातल भा० पातलदे पुत्र सा जइता भार्या फते पुत्र सा० सीहा सहिजा भा• गुरी (?) पुत्र सा० पडलिक भा० कमला पुत्र सा०जीराकेन भा० पुनी पितृव्य सा० सीमा पापा वजा कुटुंब युसेन पितृवचनात् स्वसंतान प्रयोर्थे श्री सुमतिनाध विंवं कारितं प्रति० तपागच्छे श्री सोम सुन्दर सूरि संताने श्री सुमति साधु सू० पह े श्री हेम बिमल सूरिभिः महोपाध्याय श्री अनंत हंस गणि प्र० परिवार परिवृत्तौ ।
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संवत १६११ वर्षे वृहत खरतर गच्छे श्री जिन माणिक्यसूरि विजय राज्ये श्री माल ज्ञातीय पापड़ गोत्र ठाकुर रावण सत्पुत्र उणगढमल तद्भार्या नयणी तरपुत्र जीवराजेन श्री पार्श्वनाथ परिग्रह कारापितं धर्म सुंदर गणिना प्रतिष्ठितं शुभ भवतु ।