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क्षेत्रपाल श्रीचउंड राज देवयो उअय मार्गीय समायात सार्थ उष्ट्र १० वृष २० उभयादपि उर्दू सार्धं प्रति द्वयो वयोः पाइला पदे प्रियदश विशोप का० अौटुंन ग्रहीतव्याः। असो लागो महाजनेन सामतः॥ यथोक्तं बहुभिर्वसुधा भुक्ता राजमिः सगरादिमिः । यस्य यस्य यदा भूमी तस्य तस्य तदाफलं ॥१॥छ ।
मेडता
यह भी मारबाडका एक प्राचीन नगर है।
श्री आदिनाथजी का मंदिर-डानियोंका मुहल्ला ।
(750) संवत १६७७ वसे ॥ वैशाख मासे शुक्ल पक्ष तृतीयाया तिथौ शनि रोहिणी योगे श्री मेडता नगर वास्तव्य श्री माल ज्ञातीय पाताणी गोत्रीय सं भोला भार्या मोजलदे पत्रण संघपसि तसोकेन स्व० भा० चतुरंगदे पुत्र डंगसी प्रमुख कुटुंब युतेन स्व श्रेय से स्वकारित रंगदुत्तौंग शिखर वद्ध श्री ऋषभदेव विहार मंडन सपरिकर श्री आदिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठापितंच प्रतिष्टायां प्रतिष्ठितंच तपागच्छे श्रीमदकव्वर सुरत्राण प्रदत्त - - - क श्री शत्रुजयादि कर मोचक अहारक श्री हीर विजय सूरि राज पहोदय पर्वत सहस्र किरण यमान युग प्रधान महारक श्री विजयसेन सूरिश्वर पह प्रभावक श्री श्री मद् जांहगीर साहि प्रदत्त श्री महासपा बिरुदधारक श्री महावीर तीर्थंकर प्रतिष्ठित श्री सुधर्म स्वामि पट्टधर - - सुविहित सूरि समा शृगार भहारक ओ विजय देव सूरिभिः ।