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( १६४ ) H० श्री विमलेंद्र कीर्ति गुरूपदेशात् श्री शांतिनाथ हूंवड़ ज्ञातीय सा. नादू भा० अंमल सु० सा० काहा भा. रामति सु. लषराज भा. अजो भ्रा० जेसंग भा. जसमादे भ्रा० गांगेज भा० पदमा सु० श्री राजसचवीर नित्य प्रणमंसि श्रीः।।
( 697 ) संवत १६२८ वर्षे वै. बु० १० बुधे श्रीमालज्ञातीय महषेता भा• हासी सुत मूलजी मा० अहिवदे केन श्री वासपूज्य विवं कारापितं श्री तपा ओ होर विजय सूरिमिः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ छ ।
मोती साह टोंक।
( 698 )
सं० १५०३ ज्येष्ठ शु० ६ प्राग्वाट स० कापा भार्या हासलदे पुत्र काणेन भार्या नागलदे पुत्र मुकुद नारद भ्रातृ धना श्रेयसे जीवादि कुटुम्ब युतेन निज पितृ श्रेयसे श्री नमिनाथ विंवं क० प्र० तपा गच्छे श्री जयचन्द्र सूरि गुरुभिः ।
मूल टोंक ।*
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सं० १९९३ ना मिती ज्येष्ठ बदो १२ गुरुवासरे श्रोमकसुदाबाद वास्तव्य ओसवाल जातीय वृद्ध शाषायां नाहार गोत्रीय सा० खडग सिंहजी तत् पुत्र सा उत्तम चंदजी तत् भार्या वीवी मया कुवर श्री सिद्धाचलोपरि श्री ऋषभदेवजी परौ प्राशाद मध्ये
* श्री आदिश्वर भगवामके मूल मंदिरके ऊपर संग्रह कर्ताकी वृद्ध पितामही साहिवाकी प्रतिष्ठित यह आलेख का लेख है। इस महान तीर्थके और लेख प्रशस्ति आदि पश्चात प्रकाशित होगा।