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( 433 ) श्री मत्संवत १६७१ वर्षे वैशाष सुदि३ शनी श्री आगरा वास्तव्योसवाल ज्ञातीय लोढा गोत्रे गावं-ज्जा स० ऋषभदास भार्या रेषश्री सत्पुत्र श्री कुरपाल सोनपाल संघाधिपे स्वानुवर दुनोचंदस्य पुण्यार्थं उपकाराय श्री अंचलगच्छे पूज्य श्री ५ कल्याण सागर सूरिणामुपदेशेन श्री आदिनाथ विवं प्रतिष्ठापितं ॥
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सं० १८७७ मि. फा० शु० १३ श्री कुंथुनाथ जिन विंव दू० विसनचंदन कोरितं प्रतिष्ठितं श्री जिनहर्ष सूरिमिः ॥
( 435 ) सं० १८९७ फा० शु०५ श्रीपार्श्वनाथ वि० प्र० श्री पार्श्वनाथ वि०प्र० श्री जिन महेन्द्र सूरिण्युपदेशेन कारिता। सेठ उदयचन्द धर्म पत्नी महाकुमारिभिदया। वाचनाचार्य श्री चारित्र नन्दन गणिभिर्देश---
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सं० १८८७ फा० सु० ५ श्री आदिनाथ विवं प्र. श्री जिनमहेन्द्र सूरिणा का. वोहरा नाथूराम पत्नी साहवां नाम्न्यात्म श्रेयसे वाचक चारित्र नन्दन गण्युपदेशतः॥
सेठधनसुखदासजी का मंदिर।
( 437 ) सं० १४९३ वर्षे माह वदि १ वुधे श्री श्रीमाल ज्ञातीय व्य. नरपाल मार्या नयणादे सुत देपाकेन श्रीपद्मप्रभ विवं कारितं प्रतिष्टितं।-- गच्छे श्रीगुणदेवसूरिभिः॥