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सं० १५३३ वै. शु. १२ गुरौ प्राग्वाट ज्ञा० सा० ताल्हा भा. राजु पु. सा. लिमपाक तत् भा. रत्न रुटु धाता सा० किवालघ मेघ आदि सपरिवारेन श्री कुंथुनाथ विंवं का० प्रति श्री तपगच्छाचार्य श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः श्री वसंतनगरे।
जैपुरके वेपारियोंके पासकी मूर्तियों पर।
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सं० १४०५ वैशाप सु० ३ श्री उएस गच्छ तातहड़ गोत्र प्र० साः-ज्ज भा० ब्रह्मादे वही पुत्र संघ. सा. चाकेन सकुटुंवेन श्री रिषभविवं का० प्र० श्री ककुदा चार्य संताने श्री कक्क सूरिभिः॥
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सं० १५१२ वर्षे वै. शु. ५ ओसवाल गोत्रे सा० महणा भा० महणदे सुत सा० सीपा केन भा० सूलेसरि प्रमुख कुटुम्बयुतेन श्री आदिनाथ विवं का० श्री कक्क सूरिभिः ॥
अजमेर राजपुताना म्युजिउमके वारलि गांवसे प्राप्त पत्थर पर।
___ ( 402 ) ---विरय भगवत (त)- - थ -- चतुरासि तिव ( स ) -- ( का ) ये सालिमालिनि -- रंनि विठमाझिमिके--
इसमें भी महावीर स्वामिका नाम और ४ वर्ष मध्यमिका नगरका जो कि चित्तोइसे ४ कोस उत्तरमें था उमर है और यह।३।४ पूर्वशताब्दि का बहोत प्राचीन लेख ऐसा द्विामाँका विचार है।