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(५) यति पन्नालालजी मोहनलालजीका घर देरासर ।
( 391 ) ॥ संवत १५०६ वर्षे श्री श्रीमाल ज्ञातीय दोसी ड्रेगर भार्या म्यापुरि सत पूजाकेन भार्या सोही सुत बीका युतेन आरमश्रेयसे श्री सुविधिनायादि चतुर्विंशति पह कारितः । मागम गच्छे श्री अमरसिंह सूरि पहे श्री हेमरत्न सूरि गुरूपदेशेन प्रतिष्ठितः॥ गंधार वास्तव्य ॥ शुभं भवतु ॥ श्रीः॥
V( 392 ) सं० १५१६ वर्षे फा० शु०८ प्राग्वाट सा० जोगा भा० मरगदे सुत सा० हदाकेन भा. करमी पु० पाल्हादे कुटुम्ब युतेन स्वश्रेयसे श्री विमलनाथ विवं का० प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्री सोमसुंदर सूरि प श्रीरत्नशेषर सूरिभिः।
V( 393 ) सं० १७७१ वै. वदि ५ गुरी प्राग्वाट ज्ञातीय वृद्धशाषायां सा. प्रेमचंद ग्रामीदास स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथ प्रतिष्ठितं श्री विजय ऋद्धि सूरिभिः । कलकत्ता अजायब घर (म्युजियम ) के पाषाणके मूर्तियों पर ।
- ( 394 ) १५८४ --संवत १-८४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १५ गुरौ श्रीश्रोमाली ज्ञातीय जंबहरा स० केशव सुत सं० मंडिलक सुत० सं० चांपा भार्या चापलदे सुत सं० ---- भार्या श्री गांगी सुतमेघाकेन भार्या राजु पुत्र सा० नाकर सा० मागादि तथा (?) पुत्री जीवणि प्रमुख रामसु (?) कुटुम्ब युतेन निज श्रेयोऽवाप्ताय श्री श्रेयांसनाथ विवं कारितं ॥ वृद्ध तपागच्छ नायक भ० श्री रत्नसिंह सूरि पहालंकरण भ० श्री उदय वल्लभ सूरिभि श्री ज्ञान सागर सूरि युतो प्रतिष्ठितं।