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श्री समेत शिखर तीर्थ। यह प्रसिद्ध जैन तीर्थ पूर्व देश जिला हजारिवागमें है। १ । १२ । २३ । २४ यह १ तीर्थंकरोंके सिवाय और २० तीर्थंकरोंका निर्वाण कल्याणक यहां हुवे हैं। यह पवित्र पहाड़के २० टोंकमेंसे १९ टोंक पर छत्रिमें चरण पादुका विराजमान हैं और श्री पार्श्वनाथ स्वामीके टोंक पर मंदिर है। तलहटी मधुवनमें मंदिर और धर्मशालावने हुवे हैं। यहांसे ४ कोस पर ऋजुवालुका नदी बहती है जिसके समीपमें श्री वीर भगवानका केवल ज्ञान भया था। यहां पर चरण पादुका है। यहांका और मधुवनका लेख जैन तीर्थ गाइ उसे लिया गया है।
ऋजुवालुका नदीके किनारे छत्रिमें
चरण पर।
4( 336 ) ऋजुवालुका नदी तटे श्यामाक कुटुम्वी क्षेत्रे वैशाख शुक्ल १० ततीय प्रहरे केवल ज्ञान कल्याणिक समवसरणमभत् मुर्शिदावाद वास्तव्य प्रतापसिंह सद्धार्या मेहताव कुवर तत्पुत्र लक्ष्मीपतसिंह बहादुर तत्कनिष्ट भ्राता धनपतसिंह वहादुरेण सं०१९३० वर्षे जीर्णोधार कारापितं।
मधुवनके मन्दिरके मूर्तियों पर ।
( 337 ) संवत् १८५४ माघ कृष्ण पंचम्यां चंद्रवासरे श्रीपाश्र्व जिन विंवं प्रतिष्ठितं --।
- ( 338 ) संवत १८५५ फाल्गुण शुक्ल तृतीयायां रवी श्रीपाश्र्वनाथस्य शून स्वामी गणघर विवं प्रतिष्ठितं जिन हर्ष सूरिभिः कारितं च वालुचर वास्तव्य श्रीसंघेन ।