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________________ प्रकाशकीय निवेदन प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्री माणिक्यसागरसूरीश्वरजी 'महाराज आदि ठाणा वि. स. 2010 ना वर्षे कपडवंज शहरमां मीठाभाई गुलालचंदना उपाश्रये चतुर्मास बीराज्या हता। आ अवसरे विद्वान् बालदीक्षित मुनिराजश्री सूर्योदयसागरजी महाराजनी प्रेरणाथी आगमोद्धारक ग्रंथमालानी स्थापना थएली हती, आ ग्रंथमालाए त्यारबाद प्रकाशनोनी ठीक ठीक प्रगति करी छ / सूरीश्वरजीनी पुण्यकृपाए आ 'जैन स्तोत्रसंचय'नो त्रीजो भाग आगमोद्धारक-ग्रंथमालाना 19 मा रत्नतरीके प्रगट करतां अमोने बहु हर्ष थाय छे / ___आनुं संशोधन प. पू. गच्छाधिपति आ० श्रीमाणिक्यसागरसूरीश्वरजी म नी पवित्रदृष्टि नीचे शतावधानी मुनिराजश्री लाभसागरजीए करेल छे ते बदल तेओश्रीनी तेमज जेओए आना प्रकाशनमां द्रव्य तथा प्रति आपवानी सहाय करी छे, ते बधा महानुभावोनो आभार मानीए छीए / लि. "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009676
Book TitleJain Stotra Sanchayasya Part 1 2 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasagarsuri
PublisherRamanlal Jaychand Shah Kapadwanj
Publication Year1960
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size6 MB
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