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________________ प्राचीनलिपिमालाजाता है. ऐसे १२ चांद्र मास की एक चांद्र वर्ष कहलाता है. चांद्र वर्ष ३५४ दिन, २१ घड़ी, १ पक्ष और २४ विपल के करीब होता है. हिंदुओं के पंचांगों में मास, पद, तिथि मादि बांद्र मान से ही हैं. चांद्र वर्ष सौर वर्ष से १० दिन, ५३ घड़ी, ३. पत और ३ विक्ल छोटा होता है. सौर मान और चांद्र मान में करीब ३२ महीनों में १ महीने का अंतर पड़ जाता है. हिंदुओं के यहां शुद्ध चार वर्ष नहीं किंतु चांदसौर है और चांद्र मासों तथा ऋतुओं का संबंध बना रखने तयाँ चांद्र को सौर मान से मिलाने के लिये ही जिस नांद्र मास में कोई संक्रांति न हो उसको अधिक (मल) मांस और जिसवांद्र मास में दो संक्रांति हो उसको क्षय मास मानने की रीति निकाली है. हिंदमात्र के श्राद्ध, व्रतमादि धमे कार्य तिथियों के हिसाब से ही होते हैं इस खिये बंगाल आदि में जहां जहां सौर वर्षे का प्रचार है वहां भी धर्मकार्यों के लिये चांद्रमान की तिथियों आदि का व्यवहार करना ही पड़ता है. इसीसे वहां के पंचांगों में सौर दिनों के साथ चांद्र मास, पद, तिधियां आदि भी लिखी रहती हैं. २६-हिजरी सन्. हिजरी सन का प्रारंभ मुसलमान धर्म के प्रवर्तक पैरांबर मुहम्मद साहब के मजे से भाग कर मेंदीने को कूच करने के दिन से माना जाता है. अरबी में 'हिजर' धातु का अर्थ 'अलग होना', 'छोड़ना' आदि है इसी लिये इस सन को हिजरी सन् कहते हैं. प्रारंभ से ही इस सन् का प्रचार नहीं मा किंतु मुसलमान होनेवालों में पहिले पैगंबर के कामों के नामों से वर्षे बतलाये जाते थे जैसे कि पहिले वर्ष को 'यंजन' अर्थात् याज्ञा' (मके से मदीना जाने की)का वर्षे, इसरे को हुक्म का वर्षे (उस वर्ष में मुसलमान न होनेवालों से लड़ने का हुक्म होना माना जाता है) मादि. खलीफा उमर (ई. स. ६३४ से ६४४ सक) के समय यमन के हाकिम बूमूसा अशभरी ने खलीफा को भी भेजी कि दरगाह से (श्रीमान् के यहां से)शावान् महीने की लिखी हुई लिखावटें आई हैं परंत जनसे यह मालूम नहीं होता कि कौनसा ( किस वर्ष का) शाबान है? इस पर खलीफा ने कोई सन् नियत करने के लिये विद्वानों की संमति ली और अंत में यह निभय हमा कि पैगंबर के मका छोड़ने के समय से (अर्थात् तारीख १५ जुलाई ई. स. ६२२-वि. सं ६७६ श्रावण शुक्ला २ की शाम से) इस सन् का प्रारंभ माना जावे यह निश्चय हि.स. १७ में होना माना जाता है। हिजरी सन का वर्ष शुद्ध चांद्र वर्ष है. इसके प्रत्येक मास का प्रारंभचंद्रदर्शन (हिंदुओं के प्रत्येक मास की शुक्ला २) से होता है और दूसरे चंद्रदर्शन तक मास माना जाता है. प्रत्येक तारीख सायंकाल से प्रारंभ हो कर दूसरे दिन के सायंकाल तक मानी जाती है. इसके १२ महीनों के नाम ये हैं १ मुहरेम्, २ सफर, ३ रबीउल अव्वल, ४ रबीउल् आखिर या रबी उस्सानी, ५ जमादिउल् अध्वल, ६ जमादिउल् आखिर या जमादि उस्सानी, ७ रजय, शाबान, ६ रमजान, १० शव्वाल, ११ ज़िल्काद और १२ जिलहिज्ज. चांद्र मास २६ दिन, ३१ घड़ी, ५० पल और ७विपल के करीब होने से चांद्र वर्षे सौर वर्ष से १० दिन, ५३ घड़ी, ३० पल और विपल के करीव कम होता है. तारीख १५ जुलाई ई. से. १९२२ (वि. सं. १९७६ श्रावण कृष्णा ६) की शाम को इस सन् को प्रारंभ हुए १३०० सौर वर्ष होंगे. उस समय हिजरी सन् १३४० तारीख २० जिल्काद का प्रारंभ होगा अत एव १३०. सौर वर्षों में ३६ चांद्र वर्ष, १० महीने और १६ दिन बढ़ गये. इस हिसाब से १० वर्ष में ३ बांद्र वर्ष २४ दिन और घड़ी पड़ जाती हैं. ऐसी दशा में ईसवी सन् (या विक्रम संवत्) और हिजरी सन् का कोई निश्चित अंतर नहीं रहता. उसका निश्चय गणित से ही होता है, १. सूर्यसिद्धांत के अनुसार. १. नवलकिशोर प्रेस (लखनऊ) की छपी हुई 'माईन अचरी' तर, पृ. ३३७. १. 'गयासुल्लुगात' में 'अजायबउल्बुवान' के हवाले से हिजरी सन् १७ में यह निईय होना लिसा (नवलकिशोर प्रस का छपा, गयासुल्लुगात', पृ. ३२५), Aho! Shrutgyanam
SR No.009672
Book TitleBharatiya Prachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar H Oza
PublisherMunshiram Manoharlal Publisher's Pvt Ltd New Delhi
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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