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नमिस्स णं अरहओ कालगयस्स जाव पंहीणस्स पंच वासस्यसहस्साई चउरासीइं च वाससहस्साई नव य वाससयाई विश्कताई, समस् य वासस्यस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १७० ॥ मुणिसुव्वयस्स णं अरहओ कालगयस्स जाव प्पहीणस्स एकारस बाससयसहस्साइं चउरासी व वाससहस्साई नव य वाससयाई विहकताई, दसमस् य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे गच्छइ ॥ १७१ ॥ मल्लिस णं अरहओ जाव प्पहीणस्स पन्नट्ठि वाससयसहस्साई रासी वाससहस्साइं नव य वास संयाई विक्कताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ।। १७२ ॥
अरस्त णं अरहओ जाव पहीणस्स एगे वासकोडसहस्से वितिकते, सेसं जहा मल्लस्स । तं च एयं - पंचसट्ठि लक्खा चउरासीइहस्सा विकता तम्मि समए महावीरो निब्र्बुओं, ततो परं नव सया विकता, दसमस्स य वासस्यस्स अयं असीहमें संवेच्छरे गच्छइ । एवं अग्गओ जाव सेयंसो ताव दटुर्व्व ॥ १७३ ॥
कुंथुस्स णं अरहओ जाव प्पहीणस्स एगे चउभागपलिओवमे विकते पंचसचि सयसहस्सा सेसं जहां मल्लिस ॥ १७४ ॥ संतिस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स एगे चउभागूणे पलितोमे विकते पट्टि च, सेसं जहां मल्लिस्स ।। १७५ ॥
धम्मस णं अरहओ जाव प्पहीणस्स तिन्नि सागरोवमाई विs - कताई पार्टिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १७६ ॥
अनंतस्स णं जाव पहीणस्स सत्त सागरोवमाई विश्कताई पन्नट्ठि च, सेर्स जहां मल्लिस्स ॥ १७७ ॥
१ पण ि ॥ २ परिनिब्बुओ छ । ३ पण छ || ४ अनंतस्स गन्च ॥
"Aho Shrut Gyanam"